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हिंदी दिवस की कविताएं


कविता--हिंदी मैं और तुम साथ साथ

 आओ हिंदी तुम्हारा हाथ पकड़कर 
मैं भारत की सैर करुं
नहीं रहा वह डर अब
 जो पहले हुआ करता था
 हिंदी बोलने पर घृणा का सामना करना पड़ता था।

 आओ हिंदी तुम्हारा हाथ पकड़कर 
एक नए युग का सूत्रपात करूं मैं 
आदरणीय महर्षियों के पद चिन्हों पर चलकर
 फिर से हिंदी को आबाद करुं मैं..।

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सीमा..✍️🌷
©®
#हिंदी दिवस प्रतियोगिता हेतु

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10 Comments

बहुत ही उम्दा सृजन

Reply

Kavita Gautam

23-Sep-2022 05:34 PM

बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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Swati chourasia

20-Sep-2022 08:02 PM

बहुत खूब 👌

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